गुना। श्रीमद् भगवद् गीता मानवाधिकारों की व्याख्या करती है। गीता के विचार मानव धर्म की ज्योति जाग्रत करते हैं। गीता का दर्शन मानव मात्र के लिए पथ प्रदर्शक है। गीता जयंती सप्ताह के तहत अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान अंतर्राष्ट्रीय पुष्टिमार्गीय वैष्णव परिषद के प्रांतीय प्रचार प्रमुख कैलाश मंथन ने व्यक्त किए। श्री मंथन ने कहा कि श्रीमद् भगवद् गीता भारतीय दर्शन शास्त्र की अमूल्य धरोहर है। मानव मात्र के कल्याण के लिए गीताजी के विचार जीवन जीने की कला सिखाते हैं। श्री मंथन ने कहा कि द्वापर में जब अत्याचारी शासकों ने मानवाधिकारों का हनन किया, अबला द्रोपदी का चीरहरण हुआ तब भगवान कृष्ण ने अन्याय का साथ देने वाले भीष्म पितामह, गुरु द्रोणाचार्य एवं आत्यायी दुर्योधन का वध कराने में भी परहेज नहीं किया।
गीता जयंती पखवाड़े के अवसर पर सर्राफा बाजार स्थित चिंतन हाउस में बौद्धिक कार्यक्रम के दौरान विराट हिन्दू उत्सव समिति के अध्यक्ष कैलाश मंथन ने व्यक्त किए। इस मौके पर गीता प्रचारकों, कार्यकर्ताओं का सम्मान करते हुए कैलाश मंथन ने कहा कि जीवन संग्राम में श्रीमद् भगवद् गीता प्रकाश स्तंभ की तरह मानव जाति को मार्ग निर्देशित करती है। विषादमय जीवन में गीता के विचार आत्मबल प्रदान करते हैं। श्री मंथन ने कहा कि श्री मद् भगवद् गीता राष्ट्रधर्म, देशहित के लिये जीना एवं मर मिटना सिखाती है। दु:खमय जीवन में भी विचलित ना होना सिखाती है गीता। गीता के विचार आत्मसात करके ही सुख और शांति की प्राप्ति की जा सकती है। गीता ऐसे समय में सुनाई गई जब महाभारत का भीषण संग्राम चल रहा था। रक्त की नदियां बहाई जा रही थीं। भगवान श्रीकृष्ण ने शांत मन से अर्जुन रूपी भारत को आत्मज्ञान से भरपूर मोक्ष प्राप्ति का सरल साधन बतलाया। वेद, शास्त्रों में वर्णित ज्ञान, कर्म, भक्ति का सार समझाया। उल्लेखनीय है कि चिंतन मंच के तहत नि:शुल्क गीता वितरण के 24 ं दौर पूरे हो चुके हैं। 12 दिसंबर को पूर्णिमा पर कार्यक्रम की पूर्णाहूति होगी। इस अवसर पर नि:शुल्क गीता वितरण का 25 वां दौर आरंभ होगा। अब तक 25 हजार नि:शुल्क गीताजी का वितरण हो चुका है।