गुना। पुराविद एवं समाजसेवी कैलाश मंथन ने पुरातत्व विभाग, भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार का ध्यानाकर्षण करते हुए गुना जिले में फैली प्राचीन पुरा संपदा को संरक्षित करने एवं जिला मुख्यालय पर बनाया जाए पुरातत्व संग्राहालय बनाए जाने की मांग की है। कैलाश मंथन के मुताबिक मालपुर की पहाडिय़ों पर करीब आधा सैकड़ा गुफाओं सहित नठाई गांव, ग्राम गढ़ा के जंगलों, गादेर घाटी, केदारनाथ के जंगली क्षेत्र, आरोन रोड पर पचमढ़ी, बेंहटाझिर, चांदौल, टकटइया, बमोरी क्षेत्र के ऊषाखो, कुसुम खो आदि क्षेत्रों में करीब 150 से अधिक प्राचीन गुफाओं की श्रृंखला गुना जिले की बहुमूल्य विरासत है। जिसे संरक्षित करना जरूरी है। अनेकों गुफाओं एवं पहाडिय़ों पर उकेरी गई मूर्तियां अतिक्रमण की चपेट में हैं। सन 1985 से उनका यह खोज अभियान अभी जारी है। पहाडिय़ों में अभी सैकड़ों गुफायें एवं प्राचीन संस्कृति के अवशेष दबे होने के आसार हैं। अधिकांश गुफाएं क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं।
श्री मंथन ने बताया कि गुना जिले के अतिशय क्षेत्र बजरंगगढ़, श्री बीसभुजा देवी मंदिर, मालपुर की प्राचीन गुफाओं को अविलंब पर्यटन क्षेत्र घोषित किया जाए। गुना जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी क्षेत्र की पहाडिय़ों पर वैष्णव, शैव, जैन एवं बौद्ध कालीन, द्वापरयुगीन अवशेषों की भरमार है। करीब एक दर्जन गांवों में पुरा संपदा गुफाओं एवं पहाड़ी शैल मूर्तियों के रूप में उत्कीर्ण है। ध्यान रहे मालपुर पहाड़ी पर फैली गुफाएं करीब चार दशक पहले प्रकाश में आई थीं। समाजसेवी कैलाश मंथन के मुताबिक मालपुर की पहाडिय़ों पर, नठाई, गढ़ा ग्राम, गादेर, केदारनाथ, पचमढ़ी, बेंहटाझिर, चांदौल, टकटइया, ऊषाखो-कुसुमखो, सिंध नदी के किनारे, आरोन, राघौगढ़ क्षेत्र में सैकड़ों गुफाओं की श्रृंखला एवं पुरावैभव के अवशेष बड़ी संख्या में मौजूद हैं। अतिक्रमण के चलते अनेकों गुफाओं एवं प्राचीन मूर्तियों को निजी संपत्ति के रूप में तब्दील कर दिया गया है। पुरातत्व विभाग, जिला प्रशासन का ध्यान इस ओर न होने से पुरासंपदा के तस्कर सक्रिय होकर बहुमूल्य विरासत को समाप्त कर चुके हैं। भारत सरकार को भेजे गए अपने मांग पत्र में गुना जिले में बिखरी पुरासंपदा को संरक्षण करने की मांग एवं पर्यटन स्थल घोषित करने की मांग की है।